शिकायत क्या करूँ दोनों तरफ ग़म का फसाना है, 
मेरे आगे मोहब्बत है तेरे आगे ज़माना है, 
पुकारा है तुझे मंजिल ने लेकिन मैं कहाँ जाऊं, 
बिछड़ कर तेरी दुनिया से कहाँ मेरा ठिकाना है