ना रूठना ना मनाना, ना गिला ना शिकवा कर, 
गर करना है तो बस इश्क़ कर, बे-इन्तहा कर। 

कुछ बूंदें तो गिरा प्यार की दिल जमीन पर, 
बड़ी आग लगी है दिल में सब कुछ लुटाकर। 

एहसान एक कर, मिला कर नजरों से नजर, 
कभी हकीकत में भी आ ख्वाबों से निकलकर। 

गर करना है तो इश्क़ कर...और बे-इन्तहा कर।